माँ

बालपन के कोमल हृदय पटल पर, नित इक स्वप्न उपजता है.
निश्चल उम्र की लघु बुद्धि में,स्वप्न का रेखाचित्र उभरता है.

धुंधले से उस रेखाचित्र को, माँ रोज नए रंग दे जाती है.
संतान रंगरूपी दिशा निर्देश से, उसमें चित्रण करती जाती है.
https://ae-pal.com/
स्वप्न का अस्पष्ट सा खाँचा निश्चय ही पूरा हो जाता है
जब माँ का संग निश्चित ही, हरपल, हरदम रहता है.

एक दिन ऐसा आता है जीवन में,रेखाचित्र पूरा हो जाता है .
स्वप्न का कल्पित चित्रण वर्तमान में, खिलता,फलता जाता है.
https://ae-pal.com/
जब माँ बालक के सपने को स्वयं भी आत्मसात कर लेती है.
ऐसी माँ की संतान सदा ही जीवन में उच्च लक्ष्य पा जाती है.
अपर्णा शर्मा
14.5.23
(मदर्स डे पर )

Blog at WordPress.com.

Up ↑