तरजीह

नजरअंदाज करके वो वालदैन को
बेवजह तरजीह दे रहे हैं औलाद को।
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समझ बैठे हैं,महफ़ूज़ अपना मुस्तकबिल
जानते नहीं वक़्त क्या देगा नसीब को।
अपर्णा शर्मा
June 24th,25

सपने

कछुए की चाल सी जिंदगी में, झंझावात हज़ारों है।
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सपने भरे गुब्बारे हैं, जिनमें, रूकावटें लाखों है।
अपर्णा शर्मा
June17th,25

इंतजाम

मजे में वक़्त बीता कर, जो वक़्त की, कजा नहीं करता है।
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जान लो, वक़्त है उसी का, जो अड़े वक़्त का, इंतजाम रखता है
अपर्णा शर्मा
June 10th,25
*(कजा-गुजारना )

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