दस्तक

दिलों से जुड़े,मगर तकदीर से दूर हुए,दोस्तों संग मुलाकात
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जैसे समझदारी संग,फिर से दिलों पर,बचपन की दस्तक।
अपर्णा शर्मा
Oct 16th,24

दस्तक

फिर दिल के दरवाज़े पर दस्तक दी है

ख़्वाबों ने हक़ीक़त को आवाज़ दी है

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खुले रास्ते अब बढ़ते जाना सिखा रहे हैं

हम भी मंज़िल से बेफिक्र, चले जा रहे हैं। (अपर्णा शर्मा)

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