ज़माना

गर कोई दीवार सा हो जाए, जो सभी को समझे ,ज़माना उसे सुना जाए
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वो सुने सभी की,ना कुछ कहे, नया चरित्र भी उसी का गढ़ जाए.
अपर्णा शर्मा  june11th,24

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