कुछ दर्द कभी नहीं मरते

चाहे अश्रु नयनों में हो सूखे
अंतर्मन के अन्तर भी हो सीले
चाहे शक्ति हो, दर्द सहने की
पर कुछ दर्द कभी नहीं मरते।
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मन में,दबा-छुपा कर रखे दर्द
जब तब बाहर झांका करते
कितना भी रोको,थामो इनको
पर कुछ दर्द कभी नहीं मरते।

पुरवा में जैसे हो सिहरे-सिहरे
घाव गहराते फिर से हरे-हरे
नियत तारीखों पर जीते हैं दर्द
कुछ ऐसे दर्द कभी नहीं मरते।
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अपनों के दूर चले जाने से 
जो आघात दिलों को दे जाते
हर दिन आते वो सपनों में अब
टूटे सपनों से अब हम डरते।
कुछ ऐसे दर्द कभी नहीं मरते।
अपर्णा शर्मा
July18th,25

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