फलसफा

जब वालदैन द्वारा,अपने ही बच्चों को अपना वालदैन बनाना
जैसे, जहां से शुरु किया सफर,  फिर वहीं आकर ठहर जाना।
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जी कर पूरी जिंदगी का चक्कर, और एक फलसफा कह जाना
फिर एक सुबह खुद अफ़साना बन, दुनिया को अलविदा कर जाना।
अपर्णा शर्मा
May, 27th,25

शब्द समंदर उथला सा

भावों के वृहत समंदर में
शब्द समंदर उथला सा
विचारों की उठती लहरों में
मनोभाव दिखा सिमटा सा।
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कुछ सोचे और कुछ लिख रहे
तितर-बितर से अर्थ बहें
भावुकता में डूब डूब कर
कल्पना ढूंढे अब किनारे।
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शब्दों की इस चित्रकारी में
भाव स्याही से नहीं भरे
उथले उथले इन शब्दों से
वाक्यों के विन्यास खड़े।
अपर्णा शर्मा
May,23rd 25

टूटना

जो लफ्फाजी करते बहुत हैं,वो अक्सर सोचते बहुत हैं।
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छुपाकर गम को अपने दिल में,हर वक़्त टूटते बहुत हैं।
अपर्णा शर्मा
May 20th,25

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