अस्तित्व

अंत में, अस्तित्व खो कर समन्दर हो गई
मीठी नदी,समंदर में मिल कर खारी हो गई
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चटकी तो होगी चाहत और डिगा होगा विश्वास भी
आखिर क्या थी मैं? जो प्रेम में अपना सत्व खो गई।
अपर्णा शर्मा
May 7th,24

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