सच है कि इश्क फुर्सत का मेला है,जिसमें मशरूफियता का अपना ही रेला है।
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गर इश्क में,न हो किसी एक को भी फुर्सत,तो संजीदा इश्क भी इस जहाँ में अकेला हैं.
अपर्णा शर्मा
July1st,25
तरजीह
नजरअंदाज करके वो वालदैन को
बेवजह तरजीह दे रहे हैं औलाद को।
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समझ बैठे हैं,महफ़ूज़ अपना मुस्तकबिल
जानते नहीं वक़्त क्या देगा नसीब को।
अपर्णा शर्मा
June 24th,25
सपने
कछुए की चाल सी जिंदगी में, झंझावात हज़ारों है।
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सपने भरे गुब्बारे हैं, जिनमें, रूकावटें लाखों है।
अपर्णा शर्मा
June17th,25
