सुवासित हो गया मन,प्रेम के हो जाने से
मुखरित हो गया मौन प्रेम के हो जाने से।
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प्रेम ही सीखाता सभी,उत्तम आचरण
बन गया वास्तविक मनुष्य,प्रेम के हो जाने से।
अपर्णा शर्मा
Sept.2nd,25
डर
यूँ तो,हर कदम पर, डर का बसेरा है
पर, डर-डर कर जीना भी क्या जीना है।
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सतर्क रहो,सदा ही,बजाय डरने के
इस तरह से ही अपने हर डर से जीतना है।
अपर्णा शर्मा
August 26th,25
सुख और दुख
सुख और दुख दोनों,जीवन के संगी है
संग में चलते है ऐसे,मानो ये संबंधी है।
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दुख में हँसना तो,जाने कब का सीख गए
पर सुख में आँसू आना, कितना अंतरंगी है।
अपर्णा शर्मा
August19th,25
