हर जीव अपनी मुट्ठी में लाता अपनी धरती अपना आसमान।
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हौसलों की ऊर्जा हो बेशक,क्यूँ ना मिलती सपनों की उड़ान ?
अपर्णा शर्मा
July 25th, 23
मानव
अद्भुत तत्वों का मिश्रण मानव देह कहलाया,जिसमें अवनी,अग्नि,अंबर समीर और नीर समाया।
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आलौकिकता से भरा संसार लौकिकता लोलुप हुआ,इस सबमें भरमाया मानव पत्थर की मूर्त हुआ।
अपर्णा शर्मा
July 18th,23
घाव
बहुत शुक्रिया, ए जिंदगी! तूने खूब घावों से नवाजा
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जब जब हरे हुए घाव, तब तब पुरवा को पहचाना।
अपर्णा शर्मा
July 11th, 23
