मंजिल

सफ़र ए जिंदगी रही ,कहकहे लगाने में
https://ae-pal.com/
मंजिल ए मौत थी ,ख़ामोश सी इंतजार में
अपर्णा शर्मा
Sept.5th, 23

तलाश

बेदर्द को हमदर्द समझने की भूल कुछ यूँ हो गई
https://ae-pal.com/
कि फिर हमसफर की तलाश यूँ मुकम्मल हो गई।
अपर्णा शर्मा
August 29th,23

जिंदगी

खुदा ने जाम सी बख्शी है जिंदगी
कुछ छलक गई,कुछ गटक गई।
https://ae-pal.com/
बेफिक्र सी लगी, जब जब जिंदगी
कभी फिसल गई,कभी अटक गई।
अपर्णा शर्मा
August 22nd,23

Blog at WordPress.com.

Up ↑