छला गया बार बार, यकीनन हर बार
कोई रिश्ता रहा हो या रहा कोई जानकार।
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गाहे-बगाहे,जब भी जरूरत आन पड़ी
सिरफिरा सा खड़ा, हथेली पे जान ले हर हाल।
अपर्णा शर्मा
Sept.26th,23
पुनः
जीवन वृक्ष की डालिया कभी टूटी, कभी मुरझाई
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आशा के झोंके से ,पुनः, पुनः खिलकर मुस्कराई ।
अपर्णा शर्मा
Sept.19th, 23
दृष्टिकोण
जिंदगी के सीधे से रास्तो पर ,
अकस्मात आ ही जाते हैं, जब तब तीव्र मोड़
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कोणों से काटते, जटिल रास्ते भी,
कभी बदल न पाए, आशा भरा दृष्टिकोण।
अपर्णा शर्मा
Sept.12th,23
