लेखनी

समाज को शंकित करने पर
समाज के भयभीत होने पर ।
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व्यक्ति जब-जब मौन हो जाए
तब निगाह ठहरती है लेखनी पर।
अपर्णा शर्मा
Nov.28th, 23

लकीरें

हाथों की लकीरें सहला रहीं,दबी छुपी मासूमियत को
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महसूस कर रही है, एक उम्र दांव पर लगी है तजुर्बे को।

अपर्णा शर्मा Nov.21st,23

सीख

गिरते-उठते, चलना सिखा गई जिंदगी
चलते-चलते रास्ते सूझा गई जिंदगी
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जिंदगी में रास्ते तराशने की जुगत में
जिंदगी को बेहतर जीना सिखा गई जिंदगी।
अपर्णा शर्मा
Nov14th,23

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