इत्मीनान

इत्मीनान का आगाज हो जाए, जब जिंदगी में
और मोहब्बत फूल सी खिल जाए हरेक दिल में।

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तभी दुखों के बादल छंटकर,आसमाँ चमक उठे
समझो,बसंत आकर छा गया सभी के तन-मन में।
अपर्णा शर्मा
Feb.20th,24

महफूज़

खनकती जिंदगी के,कुछ हिस्से,सहेज कर रख लिए।
यूँ जिंदगी के,कहे,अनकहे किस्से,महफूज कर लिए।
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हम तो,जीते रहे जिंदगी को,जैसे टूंगते हो चबैना
यों कुछ टुकड़े,यादों की गुल्लक में,जमा कर लिए।
अपर्णा शर्मा 

Feb.13th,24

फिर बसंत आया

धरती ने कुहासे का आवरण हटाकर देखा,अपने सम्मुख माघ को पाया
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धरा मुस्काई और प्रकृति ने कहा आह ! फिर बसंत आया।
अपर्णा शर्मा
Feb.6th,24

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