एकाकीपन

अपना सब कुछ सहर्ष लुटा कर,संतानो को हर हाल में जिता कर
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अपने समूचे वज़ूद को खोकर,निनिर्मेष से हैं,अपने घर में पराए होकर.
अपर्णा शर्मा April16th, 24

परछाई

सूरज के चढ़ते ही वो मेरे संग संग हो लेती है
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जहाँ-जहाँ मैं चलूँ वो मेरे आगे पीछे ही रहती है।
अपर्णा शर्मा
April 9th,24

कैनवास

ए खुदा जिंदगी का कोरा कैनवास थमा कर ,तूने कूची और रंग थमा तो दिए है।
कुछ ही जो इस पर अपने मन के रंग लगाते हैं।
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बाकी बचे इंसान देखा देखी अपनी जिंदगी रंगते है और कुछ दबाव में कैनवास बेरंग कर देते हैं।
अपर्णा शर्मा
अप्रैल 2nd, 24

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