जब जब ‘मैं’जीता है,तब तब ‘हम’ हार गया
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रंग बदलती दुनिया में,रिश्ता यूँ बेहाल हुआ।
अपर्णा शर्मा
May28th,24
भ्रम
जिंदगी भर सपने में जिया और कभी भ्रम में
मानो विचरता रहा, कहीं कल्पित संसार में।
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यकायक दोनों टूट गए सच के धरातल पर
अब नहीं रहता, वो किसी तन्द्रा या किसी धोखे में।
अपर्णा शर्मा
May21st,24
संस्कार
पहली पीढ़ी से ले कर अमूल्य संस्कार
दूजी ने तीजी पीढ़ी को दिए अशुद्ध आचरण
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जो सच्चे संवाहक न बने संस्कारों के
वृद्धावस्था में दिखेगा अंधकार ही अंधकार.
अपर्णा शर्मा
May14th,24
