जीवन कुम्भ की बूंद-बूंद को
जिसने घर को समर्पित कर दिया
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कैसे, क्यूं, कब हुआ वो निरर्थक ?
जिसने हरेक को समर्थ बना दिया।
अपर्णा शर्मा
June 18th,24
ज़माना
गर कोई दीवार सा हो जाए, जो सभी को समझे ,ज़माना उसे सुना जाए
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वो सुने सभी की,ना कुछ कहे, नया चरित्र भी उसी का गढ़ जाए.
अपर्णा शर्मा june11th,24
दीवार
जन्म जन्मांतर तक सब सुनती रही
सभी के राज,वो अपने तक समेटे रही
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हाँ,वो दीवार ही थी हर रिश्ते की
जो चुप रहकर रिश्ते निभाती रही.
अपर्णा शर्मा
June 4th,24
