जाल

सुबह-शाम बेहतर जिंदगी बनाने को निकले
बेहतरीन के फ़ेर में,जिंदगी तमाम कर निकले।
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बेख़बर से,फंसते गए माया के इस महा जाल में
और हर तरफ अवसाद में डूबे लोग दिखे।
अपर्णा शर्मा
August 20th,24

तरीका

किसी ने कब चाह,कि हंगामा खड़ा हो
मकसद शायद अपनी बात कहने का हो
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गर बात करने और रखने का तरीका न आए
तो मुमकिन है कि हर बात पर हंगामा खड़ा हो।
अपर्णा शर्मा
Aug.13th,24

अनकही

कर अधिकांशत लगता देश हेतु योगदान
जो करदाताओं में भरता उच्च स्वाभिमान।
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पर जब कभी, हद से ज्यादा मन मारना पड़ जाए
तब उन्हीं करदाताओं को, सजा जैसा देता भान
अपर्णा शर्मा
Aug.6th,24

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