शांत पड़े गहरे पोखर में ,आज हलचल मचती रही
यादों की कंकरी, पुरजोर, आज शोर करती रही।
https://ae-pal.com/
जिन यादों को,झील सा शांत समझ लिया था अपर्णा
उन यादों के, बवंडर में,ख़्यालों की सुनामी उठती रही।
अपर्णा शर्मा
Sept.10th,24
पहचान
मोहब्बत-ए-पैगाम,हर्फ दर हर्फ दिलों में घुलता गया।
https://ae-pal.com/
हर्फ ही हैं,जो इंसान की इंसान से पहचान करा गया।
अपर्णा शर्मा
September 3rd, 24
छल
अपना बना कर वो,साथ चलता गया
धीरे-धीरे सभी से,बहुत दूर करता गया।
https://ae-pal.com/
समझ न सका,वो दोस्त रहा या रहा दुश्मन
जो अपनों से दूर ,तन्हा कर,सबकुछ हो गया।
अपर्णा शर्मा
August 27th, 24
