फलक,गर दरख्त से गिरे, तो सदा पतझड़ नहीं होता
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गर गिर जाए, अख़लाक़ घरों में,फिर बसंत नहीं होता।
अपर्णा शर्मा
Feb.25th,25
शख्सियत
आसान नहीं, पहाड़ सी शख्सियत रखना
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कभी बर्फ सा जमना,कभी आग सा तपना।
अपर्णा शर्मा
Feb. 18th,25
अनुराग
फ़ूलों के महकने से,भौरों के गुंजन से
जाग गई दिलों में,अधूरी कहानी यक से।
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बौराए अमराई की महक से, सरसों के फूल से
प्रेम के अनुरागी, डूबे हैं फिर उसी अनुराग में।
अपर्णा शर्मा
Feb.11th,25
