पहेली

जटिल समस्या के समाधान, कभी सरल नहीं
सुलगते सवालों के बुझे से जवाब दिखे हर कहीं
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जिंदगी ऐसे ही, विलोम शब्दों की पहेली रही
मौत को धोखे में रख कर, जिंदगी जीती रही।
अपर्णा शर्मा
April8th,25

साथ

किसी को अफ़सोस रहा कि कभी किसी का साथ न मिला।
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कोई सदमें में है कि अंगुली पकड़ने वाला गुमराह कर चला।
अपर्णा शर्मा
April 1st,25

कभी-कभी

कभी-कभी अवचेतन मन में भावों के बादल घिरते है 
तभी-तभी शब्दों के कोलाहल में अर्थ खोने लगते हैं।
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व्यस्तताओं का,उच्चतम बिंदु के,उच्च तक बढ़ जाना
और कभी गहन खालीपन,भावों को खाली कर देते हैं।
अपर्णा शर्मा
March25th,25

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