पाँच तत्व से बना शरीर
बचपन से सुनता आया रे.
मिट्टी,अग्नि,जल,आकाश
वायु ने मिलकर बनाया रे.
ये तन माटी का पुतला तू
इस पर खूब इतराया रे.
दर्प की वायु भरली इतना
इसका घमंड ना उतरा रे.
https://ae-pal.com/
मैं की अग्नि में तूने
शरीर खूब ही तपाया रे.
मानवता को भस्म किया
अमानवता से जोड़ा नाता रे.
जल की शीतलता से तूने
तोड़ा क्यूँ नाता रे.
कठोरता के आंगन में तूने
अलग संसार बसाया रे.
https://ae-pal.com/
फूटा जब माटी का तन
जल में जल समाया रे.
दर्प वायु का ऐसा टूटा
अग्नि में तुझे जलाया रे.
सुन्दर, सद्कर्मों का नाता
बस आकाश में जाता रे.
इसी चक्र में घूमता मानव
जीवन यही बताता रे.
https://ae-pal.com/
सद्कर्मों को करके तू आत्मा से बन्ध जा रे.
आत्मा ही जायेगी वहाँ
मात्र सद्कर्मों की कीमत रे.
अपर्णा शर्मा
Jan.26th,24
मेरे राम
हर जन के मन में राम रमे
हर कण-कण में राम बसे।
शंभु सदा जपते हरि हरि
और हरि को भाता हरे-हरे।
https://ae-pal.com/
राम नाम है साँस-साँस में
आस बसी है राम-राम में।
जीवन का नाम राम-राम
मृत्यु पर भी राम -राम कहे।
https://ae-pal.com/
जीवन का सत्य राम-श्याम है
राम न बसते कभी झूठ-पाप में।
तन और मन में रखो राम अगर
मेरे राम मिलेंगे डगर डगर में ।
अपर्णा शर्मा
Jan.19th,24
अनचाहा अतिथि
कक्षा में गहन सन्नाटा छा गया
छात्रों का चेहरा सफेद हो गया
सुनकर इस अतिथि का नाम
घबराहट का माहौल हो गया।
https://ae-pal.com/
सारी शैतानियाँ रफ़ू चक्कर हो रही
पाठ्यक्रम पूर्ण हो, रणनीति बन रही
एक दूजे को सहयोग की भावना के साथ
छात्रों में अतिथि सत्कार की बैठकें हो रही।
अतिथि आगमन की तिथि निर्धारित है
एक माह तक विश्राम का एलान है
प्रत्येक तिथि पर भिन्न भिन्न है कार्यक्रम
सभी को सफल बनाने की योजना है।
https://ae-pal.com/
हँसी, ठिठोली से दिन थे गुजार रहे
विद्यालय में जिंदगी को खूब जी रहे
परीक्षा नाम के इस खूंखार अतिथि से
मस्तमौला छात्र भी अब संजीदा हो रहे।
अपर्णा शर्मा
Jan.12th,24
