ये ढुलकते आँसू ,बेकार न हो आँसू
मन की पीड़ा को,हल्का करे ये आँसू।
खुशियों में चार चाँद लगा,इतराते आँसू
दिल के एहसास बया कर ,बतियाते आँसू।
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पानी नहीं, ये अनमोल मोती है सच्चे
अर्थ ग़र समझे, हरपल के साथी है अच्छे।
व्यर्थ न बहाना, कुछ बचालो आँसू
कौन समझेगा यहाँ, रोक लो आँसू।
अपर्णा शर्मा
Oct. 31st,25
खूबसूरत
जिंदगी बड़ी खूबसूरत हैं
ये बच्चे जैसे खरगोश से
लड़कियां गिलहरियों सी
फूल भंवरे, ये जंगल
नदियों की कल-कल
अचानक से ये सब कैसे?
हवाएँ थिरक गई
खुशबू महक गई
दिल के प्रांगण में
फूटा है एक अंकुर
नाम है प्रेम।
इसे हो जाने दो।
अपर्णा शर्मा
Oct. 24th,25

रंगोली प्रकृति की
आसमाँ वसुधा हेतु, उद्यत देने को उपहार
सम्पूर्ण धवल पक्ष में, ले पाया यह आकार
साँझ होते ही धरा को थमा दिया चांदनी में लपेट
आसमाँ का धरा को अनुपम रंगोली का उपहार.
तारों संग विधु खेल रहा, धवल रंगोली धरती पर
श्याम रंग की चूनर ओढ़, रजनी भी मचले धरती पर
धरती का हर प्रेमी चाँद में ,अपने प्रेम को निरख रहा
न्यौछावर हुआ चंदा भी,सजीली धरती के अनुराग पर .
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धरती भी चंदा के अभिवादन को, आतुर हो रही
पूर्ण चाँद के स्वागत में सुरभित से परिपूर्ण हो रही
रात रानी, कुमुदिनी,चांदनी शतमुख से खिल गये
आसमाँ को, निरंतर इस रंगोली का धन्यवाद दे रही.
समंदर भी चाँद के अभिनंदन में पीछे कब रहा ?
हर तरंग, चांद के स्पर्श को निरंतर प्रयासरत रहा
प्रेम में डूबा समंदर,ज्वार में संदीपित सा
पूर्ण चाँद,धरती,और समंदर दुर्लभ दृश्य दिखा रहा.
अपर्णा शर्मा
Oct.17th,25
