बंधन स्नेह का

सावन की विदाई पे
ये सतरंगी रेशमी धागे
बहन का भाई से
भाई का बहन से
नाज़ नखरों से भरा
मान मनौवल पे ठहरा
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प्यारा भरा बंधन
सर्वदा अटूट सम्बंध
बहन के मुख का उजाला
भाई के कलाई पर सजा
स्नेह से भरा धागा
स्नेह को सदा सींचता.
राखी है, बंधन स्नेह का.
अपर्णा शर्मा
August 19th,24

अनवरत प्रेम

जड़ हुए शरीरों ने
समेट लिया कोलाहल
बंध खोलते मनों ने
अपना लिया सारा मौन।
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वचनों, वादों का संसार
शुष्क सा यथार्थ बन गया
इक दूजे से मिलन,भेंट
अब स्वपन सा हो गया।

वहीं मंदिर की चौखट
और नदी की बहती धारा
बदली सी बहकी अवस्था
दूर तक न दिखता किनारा।
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जड़ हुई इस दुनिया में
वृक्ष सरीखे मैं और तुम
मौसम सी आस लिए
और हमारा अनवरत प्रेम।
अपर्णा शर्मा August16th,24

खुशियाँ दिहाड़ी पर


ढेरों रोशनी छुपाए, पर टिमटिमाते हुए
शरमाते हुए, बैठ गई, सकुचाते हुए
बैठते ही,चहुँ ओर चमक दमक फैल गई
सजा दिया गया, स्थाई आसन उसके लिए।
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खबर उसके आगमन की, दूर-दूर तक थी
ढोलक की थाप और बधाई गाई जा रही थी
मिठाइयों संग, मेहमानों का लग रहा था मेला
उसके आगमन पर महफिल सज रही थी।
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सपने का साकार रूप, आँखें देख रही थी
सत्कार पा कर भी ,वो अपनी मजूरी पर अड़ी थी
खुशियाँ आई थी,मगर आई थी, वो दिहाड़ी पर
सुखद याद दे, खुशियाँ,अपनों से दूर जा रही थी।
अपर्णा शर्मा
Aug.9th,24

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