प्रतीक्षा

स्मृतियों का हृदय से धूमिल न हो पाना
प्रतीक्षित का भी दर पर न आ पाना
जीवन में दोनों का खण्डित रह जाना
दहलीज पर प्रतीक्षा होती है
जीवन को आशा से भरती है।
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जीवन की ढलती साँझ तक
उमर के अंतिम पड़ाव तक
प्रतीक्षा के विस्मृति होने तक
दहलीज पर प्रतीक्षा होती है
जीवन को आशा से भरती है।
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वो यादें हैं जीवन संगिनी सी
साँसों की लयबद्ध सरगम सी
साँझ की यह प्रतीक्षा प्यारी सी
उदास दहलीज संवारती है
जीवन को आशा से भरती है।
अपर्णा शर्मा
Jan.31st,25

प्रतिबिंब

नदी के शांत से, शीतल जल में
प्रतिबिंब जो उभर कर आया
गहरे छिपे मन के भावों का
चेहरे पर अस्तित्व नजर आया।
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केशों की उलझी उलझी लटाओं में
मन की उलझन गहराई है
निर्जन से दिखते इन व्याकुल नयनों में
प्रतीक्षा प्रतिपल की समाई है।

किया गर जल आचमन अनजाने में
प्रतिबिंब जल में रिल-मिल जाएगा
कल्पित स्वर्ण संसार रचा जो मन में
क्षण में, क्षणभंगुर हो बिखर जाएगा।
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मन के एहसासों को गहरा छिपा कर
कई चेहरे लेकर जो फिरता है
अक़्स देख कर आज जल दर्पण में
विस्मित सा प्रतिबिंब दिखता है।

जो सदा छिपाया दुनिया भर से
अपने से न छिप पाया
मन की परछाई उभरने मात्र से
किंकर्तव्यविमूढ़ नज़र आया।
अपर्णा शर्मा
Jan.24th,25

स्मृति

आजीवन कोई साथ नहीं देता
यादें ही साथ निभाती हैं
शरीर कभी साथ नहीं देते
रिश्तों में याद रह जाती हैं।
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छोड़ चले अपने जो संसार 
वो यादों में रिसते हैं
भरे पूरे इस संसार में
हम उजड़े से रहते हैं।

रिश्तें की मजबूती जो
जो हरपल जीना सिखलाती
वो यादों की पोटली बन
जीवन जीर्ण-शीर्ण कर जाती।
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एहसास सदा ही जिवित रहते
वो कभी नहीं मरते
स्मृति चिन्हों के विसर्जन से भी
स्मृतियों संग ही जीते।
अपर्णा शर्मा
Jan.17th,25

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